जन्माष्टमी पर ग्वालियर के गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण को 100 करोड़ रुपये के कीमती आभूषणों से सजाया जाता है। यह दुनिया का सबसे महंगा श्रृंगार माना जाता है, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
सुयश शर्मा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश क़े ग्वालियर में स्थित गोपाल मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का दुनिया का सबसे महंगा श्रृंगार होता है। श्री कृष्णा और राधा रानी के हीरे मोती माणिक जैसे बे-शकीमती आभूषण साल भर बैंक के लॉकर में जमा रहते हैं। पुलिस कड़े साये और सुरक्षा के बीच बे-शकीमती आभूषणों को साल में एक बार जन्माष्टमी पर उन्हें मंदिर लाया जाता है।
100 करोड रुपए से अधिक क़े बे-शकीमती आभूषण
ग्वालियर शहर में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गोपाल जी मंदिर में भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी का विशेष श्रृंगार किया जाता है। इस वर्ष भी कल 16 अगस्त जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिर में 100 करोड रुपए से अधिक क़े बे-शकीमती आभूषणों से श्रीकृष्ण और राधा रानी का श्रृंगार किया जाएगा। जिसमें हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक, और पुखराज जैसे अनमोल रत्न जड़े हुए रहते हैं। यह अद्भुत श्रृंगार देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है जिसमें विदेशी भक्त भी शामिल रहते हैं।
100 से अधिक पुलिस फोर्स की कड़ी सुरक्षा बैंक के लॉकर से मंदिर तक
राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण क़े बेशकीमती आभूषणों को साल भर बैंक की लॉकर में विशेष सुरक्षा में रखा जाता है। जन्माष्टमी के दिन इन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच बैंक के लॉकर से निकालकर मंदिर लाया जाता है। इस दौरान मंदिर क़े अंदर और बाहर 100 से अधिक पुलिस क़े जवान तैनात रहते हैं। पूरे मंदिर परिसर में एक सैकड़ा से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाती है।
श्री कृष्ण की बांसुरी सोने की राधा रानी के लिए सात लड़ी के हार
इन अनमोल आभूषणों में सोना चांदी के साथ-साथ रत्नों का अद्भुत संगम देखा जा सकता है। माता राधा के सात लड़ी के हार में पन्ना हीरे और माणिक जड़े हुए हैं। जबकि श्री कृष्ण की बांसुरी सोने की है। जिस पर भी हीरे लगे हुए हैं। राधा और कृष्ण के मुकुट में हीरे और पन्ना और पदम जड़े हुए हैं। इन आभूषणों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे आकाश में तारे चमक रहे हों।
गोपाल मंदिर का इतिहास और महत्व
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम द्वारा की गई थी। मंदिर में राधा कृष्ण की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और रत्न जड़ित सोने के आभूषण विशेष रूप से तैयार करवाए गए थे। इनमें राधा कृष्ण के लिए 55 पन्ना जड़ित सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी क़े पूजा के बर्तन शामिल हैं। हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर इन अनमोल आभूषणों से भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है। जिसे देखने के लिए भक्त वर्ष पर इंतजार करते हैं।
आभूषणों का इतिहास
देश की आजादी से पहले तक भगवान राधा कृष्ण नियमित रूप से इन आभूषणों को धारण करते थे। लेकिन आजादी के बाद इन आभूषणों को बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखवा दिया गया। साल 2007 में नगर निगम की देख-रेख में इन्हें हर जन्माष्टमी पर मंदिर में लाया जाता है और भगवान राधा कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है। तब से लेकर हर साल जन्माष्टमी पर यह परंपरा जारी है। जिसमें राधा कृष्ण को इन अनमोल आभूषणों से सजाया जाता है।