भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी ने मुख्यमंत्री से की थी शिकायत, आरोपों की जांच के लिए गठित की गई 5 सदस्यीय कमेटी
लखनऊ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जीएम एचआर सुधा यादव फर्जीवाड़े के मामले में घिर गई हैं. सुधा यादव पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल की. कानपुर के किदवई नगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी ने इस प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की थी जिसके बाद सुधा यादव की जांच शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री कार्यालय के हरकत में आने के बाद सुधा यादव पर लगे आरोपों की जांच के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की एमडी डॉ. पिंकी जोवेल ने 5 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है.
सुधा यादव राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय में संविदा के आधार पर जीएम एचआर के पद पर तैनात हैं. भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी का आरोप है कि सुधा यादव ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की है.
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में उन्होंने लिखा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मानव संसाधन के महाप्रबंधक के पद का विज्ञापन जून 2018 में प्रकाशित हुआ था. इस पद के लिए टियर वन कॉलेज अथवा संस्थान से एमबीए या मानव संसाधन में विशेषज्ञता वाला कोई समकक्ष कोर्स जरूरी था. आवेदन के लिए अभ्यर्थियों से मानव संसाधन के क्षेत्र में न्यूनतम 12 साल का अनुभव मांगा गया था जिसमें 5 से 7 साल नेतृत्व पद शामिल था.
भाजपा विधायक का कहना है कि सुधा यादव ने कुमाऊं विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री लगाई है. इस डिग्री के मुताबिक सुधा यादव ने वर्ष 2003 में कुमाऊं विश्वविद्यालय से एमबीए किया है. उधर, विधायक का दावा है कि कुमाऊं विश्वविद्यालय टियर वन श्रेणी का नहीं है. ऐसे में उनके आवेदन को पहले ही निरस्त कर देना चाहिए था.

उन्होंने सुधा यादव के पास जीएम एचआर के पद के लिए प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार निर्धारित अनुभव न होने का भी आरोप लगाया है. सुधा यादव ने नई दिल्ली में इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने वाली एक कोचिंग संस्था में जुलाई 2003 से दिसंबर 2016 तक 13 साल 6 महीने निदेशक के तौर पर काम करने का अनुभव दर्शाया है. हालांकि, विधायक का कहना है कि सुधा उक्त कोचिंग में रिसेप्शनिस्ट और काउंसलर के पद पर काम करती थीं जो किसी भी नजरिए से जीएम एचआर पद के विज्ञापन के अनुरूप नहीं है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते गलत तरीके से उनका चयन किया गया.
भाजपा विधायक ने सुधा यादव पर अपने पद का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपए कमाने का आरोप भी लगाया है. विधायक ने अपने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत पूर्व में जनपदों में हुई भर्ती में भ्रष्टाचार करके अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन किया गया.
विधायक महेश त्रिवेदी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यक्रम प्रबंधन इकाई में अधिकारियों, कर्मचारियों और जनपद स्तर पर तकनीकी और पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई थी. इन भर्तियों के लिए मानव संसाधन कंपनी का अनुबंध ऐसी कंपनी से किया गया जो पूर्व ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट की जा चुकी है. उक्त कंपनी के चयन की समिति में सुधा यादव भी बतौर सदस्य शामिल थीं. भाजपा विधायक ने मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कर कर कार्रवाई का निवेदन किया था.
विधायक के शिकायती पत्र को आईजीआरएस में दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. एनएचएम सूत्रों के मुताबिक जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने सुधा यादव से सवाल जवाब किए हैं.
शिकायतें पहले भी लेकिन कारवाई कोई नहीं
सुधा यादव की पहले भी कई शिकायतें की जा चुकी हैं लेकिन विभागीय अधिकारियों के वरदहस्त के चलते उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. कैसरबाग के सुधीर प्रजापति ने करीब 2 साल पहले सुधा यादव पर फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने का आरोप लगाते हुए डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से शिकायत की थी. डिप्टी सीएम की तरफ से 21 जुलाई 2023 को शिकायती पत्र एनएचएम की एमडी डॉ. पिंकी जोवेल को भेजा गया. एमडी ने 1 अगस्त 2023 को उक्त पत्र अपर मिशन निदेशक हीरालाल को भेजा. अपर मिशन निदेशक हीरालाल ने शिकायती पत्र आरोपी को ही मार्ग कर दिया. उसके बाद से ये जांच ठंडे बस्ती में पड़ी हुई है. कानपुर के आर्यनगर विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेई ने 3 जुलाई 2024 को नियम 51 के तहत विधानसभा अध्यक्ष को पत्र देकर इस मामले में जांच और कार्रवाई की मांग की थी.