उत्तराखंड CM धामी ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं और सफाईकर्मियों की सराहना की। सरकार ने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक 2025 लाने का फैसला किया.
भैरारीसैंण (गैरसैंण), उत्तराखंड। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार सुबह भैरारीसैंण दौरे के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कार्यरत स्व-सहायता समूह की महिलाओं से मुलाकात की और उनके कार्यों की सराहना की। सीएम धामी ने कहा कि ग्रामीण आजीविका में महिलाओं की भागीदारी और उनकी मेहनत राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने पर्यटकों से अपील की कि देवभूमि उत्तराखंड आने पर वे अपने खर्च का कम से कम 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों की खरीद पर खर्च करें, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने विधानसभा परिसर में कार्यरत सफाईकर्मियों से भी मुलाकात की और उनके भोजन तथा आवास व्यवस्था की जानकारी ली। कर्मचारियों ने सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर आभार व्यक्त किया। सीएम धामी ने कहा कि महिलाओं का समर्पण और सफाईकर्मियों की निष्ठा "विकसित उत्तराखंड" के सामूहिक प्रयास का अद्वितीय उदाहरण है।
इससे पहले रविवार को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने धामी सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक 2025 लाने का निर्णय ऐतिहासिक है। यह विधेयक अब विधानसभा सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा, जो 19 अगस्त से शुरू हो रहा है।
अब तक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय को प्राप्त था। लेकिन नए विधेयक के तहत यह सुविधा ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों को भी मिलेगी। इस कानून के लागू होने पर गुरमुखी और पाली जैसी भाषाओं का अध्ययन भी मान्यता प्राप्त संस्थानों में संभव होगा। साथ ही, 2016 का उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम और 2019 के गैर-सरकारी अरबी-फारसी मदरसा नियम 1 जुलाई 2026 से समाप्त हो जाएंगे।
विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में ‘उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण’ का गठन शामिल है। यह प्राधिकरण अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता देगा। सभी संस्थानों के लिए सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के तहत पंजीकरण अनिवार्य होगा। यदि वित्तीय अनियमितता, पारदर्शिता की कमी या धार्मिक-सामाजिक सद्भावना के खिलाफ कोई गतिविधि पाई जाती है तो मान्यता वापस ली जा सकेगी।इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है। धामी सरकार का मानना है कि इससे अल्पसंख्यक समुदायों को शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे और उत्तराखंड में समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।