दो माह पहले कुटीर की सूची में नाम आया, अविवाहित होने पर सूची से बाहर हुआ. एक अविवाहित दिव्यांग को पीएम आवास का लाभ मिला, लेकिन अब सीएमओ ने तीन दिन में पत्नी के काग़ज़ जमा करने का अल्टीमेटम दे दिया।
शेखर उप्पल, गुना मध्यप्रदेश से एक ऐसी ख़बर आई है, जो न सिर्फ़ शर्मनाक है, बल्कि सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता को बेनकाब करती है। एक अविवाहित दिव्यांग को पीएम आवास का लाभ मिला, लेकिन अब सीएमओ ने तीन दिन में पत्नी के काग़ज़ जमा करने का अल्टीमेटम दे दिया। वरना आवास योजना से बेदख़ल करने की धमकी। सवाल है कि दिव्यांग बिना पत्नी का कागज़ कहां से लाए ?
मामला गुना जिले की आरोन तहसील का है। पवन अहिरवार का नगर पालिका आरोन की पीएम आवास (कुटीर) सूची में दो माह पहले नाम था। लेकिन पवन के घर नगर पालिका का पत्र पहुंचा। जिसमें जिक्र है कि आपके आवेदन में पत्नी का नाम नहीं है। कुटीर की सुविधा उसी को दी जा सकती है, जिसमें पति और पत्नी का नाम हो। यदि तीन दिन में पत्नी के कागज जमा नहीं किए तो आपका कुटीर की सूची से नाम हटा दिया जाएगा। इसी पत्र को लेकर दिव्यांग जिला कलेक्टर के पास पहुंचा। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले ही कलेक्ट्रेट गुना से कलेक्टर महोदय ने एक आदेश निकाला था। जिसमें सभी नगर पालिकाओं को आदेशित किया गया था कि दिव्यांगों को 6% आवास में आरक्षण की सुविधा दी जाए। वह आदेश भी दिव्यांग ने कलेक्टर को उपलब्ध करवाया और कहा कि आप ही ने आदेश 6% का निकला है। अब मैं तीन दिन में बहू कहां से लाऊं। मुझे ₹600 पेंशन मिलती है। आवास भी नहीं है ऐसी स्थिति में तीन दिन में मुझसे कौन शादी करेगा।
सवाल- जो खोज रहे जवाब
शरीर से लाचार पवन अहिरवार का चलना-फिरना मुश्किल। पीएम आवास योजना ने इन्हें एक आशियाने का सपना दिया था। सपना अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि सीएमओ ने तीन दिन में पत्नी के काग़ज़ लाने का तुग़लकी फ़रमान सुना दिया। नोटिस साफ़ कहता है, पत्नी के दस्तावेज़ तीन दिन में दो, वरना आवास निरस्त। अब सवाल ये है कि अविवाहित दिव्यांग पत्नी के कागज़ कहां से लाएगा ?
दिव्यांग पवन नोटिस दिखाकर बोले साहब घर चाहिए, दुल्हन नहीं
मंगलवार को पवन अहिरवार कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचे और कलेक्टर किशोर कुमार कान्याल को नोटिस दिखाकर बोले- साहब घर चाहिए या दुल्हन ? तीन दिन में शादी करना क्या कोई सरकारी योजना है ? यह सुनते ही वहां मौजूद लोग हंसी नहीं रोक पाए। पवन ने कहा, अगर शादी के बिना घर नहीं मिलेगा तो सरकार को सीधे घर संग दुल्हन योजना शुरू कर देनी चाहिए। कलेक्टर किशोर कुमार कान्याल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया। सरकार दावा करती है कि योजनाओं में सबका साथ, सबका विकास हो। लेकिन गुना में ये दावा सिर्फ़ दीवारों पर लिखी लाइन बनकर रह गया है। फिलहाल, पवन को उम्मीद है कि उन्हें बिना शादी के भी उनका कुटीर मिल जाएगा। अब देखना ये है कि क्या ये तुग़लकी आदेश वापस होगा या एक और दिव्यांग गरीब का सपना टूटा हुआ ही रह जाएगा।